
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मुँह एक बार फिर बिना ब्रेक के चल पड़ा है। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने दावा किया:
“अगर मेरे पास टैरिफ़ की ताक़त नहीं होती तो सात में से चार युद्ध चल रहे होते।”
यानि टैरिफ़ नहीं, तो टाइमलाइन पर थर्ड वर्ल्ड वॉर!
भारत-पाकिस्तान मामला: न्यूक्लियर खतरे से ‘टैरिफ़ कवर’ तक
ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद बने तनाव का ज़िक्र करते हुए कहा:
“दोनों न्यूक्लियर पावर्स थे, दोनों युद्ध के लिए तैयार थे। सात लड़ाकू विमान गिराए गए थे। लेकिन मैंने जो कहा, वह प्रभावी रहा… और वे रुक गए।”
और हां, वह जो कहा था… वो था टैरिफ़ और ट्रेड से जुड़ा। यानि व्यापारिक डील के नाम पर बॉर्डर सीज़फायर!
“धन्यवाद ट्रंप जी, लेकिन नहीं धन्यवाद”
भारत ने ट्रंप के इस दावे को पहले भी खारिज किया है और इस बार भी रुख वही है:
“भारत-पाकिस्तान का मामला द्विपक्षीय है, तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।”
सीधी भाषा में:
“हमारी लड़ाई में अमेरिका का ऑफर अच्छा है, लेकिन हमें इंटरनेशनल रिफरी नहीं चाहिए।”

ट्रंप का ट्रेड-डिप्लोमेसी मॉडल अब धीरे-धीरे “All-in-One Foreign Policy Toolkit” बनता जा रहा है – जिसमें बातचीत, धमकी और डील… सब कुछ टैरिफ़ के बैग में आता है।
Trump की दुनिया: जहां टैरिफ़ = टैंक और ट्रेड = ट्रूस
ट्रंप ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर ये जताया कि उनकी पॉलिसी का सुपरपावर एलिमेंट सिर्फ मिलिट्री नहीं, टैरिफ़ भी है।
“मैंने टैरिफ़ का इस्तेमाल युद्ध रोकने के लिए किया।”
यानि दुनिया को बचाने के लिए नथिंग एल्स बट… इंपोर्ट ड्यूटीज़।
ट्रंप का दावा ज़ोरदार, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और
भले ही ट्रंप खुद को “War Stopper-in-Chief” समझते हों, लेकिन भारत स्पष्ट कह चुका है कि ये मामला द्विपक्षीय है। कोई तीसरा पक्ष नहीं चाहिए। और हां, टैरिफ़ से न्यूक्लियर वॉर नहीं रुकते, डिप्लोमेसी से रुकते हैं।
लेकिन ट्रंप के लिए शायद “ट्रेड ही ट्रस्ट है।”
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